आईए ‘नक्शाब जारचवी’ को जाने: सख्शियत (सैयद एस तौहीद) सैयद तौहीद शहबाज़ September 26, 2016 बहुरंग, संस्मरण 110 आज फिल्मउद्योग में बाजारी प्रभाव और नित नए उगते चहरों कि भीड़ में गुम होते और हो चुके कई नामों में शामिल है बुलंद शहर में जन्मे गीतकार ‘नक्शाब जारचवी’ का नाम विसरे हुए इसी फनकार कि कुछ यादें ताज़ा करा रहे हैं ‘सैयद एस तौहीद’ …..| – संपादक सैयद एस तौहीद आईए ‘नक्शाब जारचवी’ को जाने बुलंदशहर का एक छोटा सा कस्बा जारचा. इसी कस्बे के नक्शानवीस हैदर अब्बास के घर गीतकार नक्शाब जारचवी का जन्म हुआ था.भाई बहनों में नक्शाब तीसरी नंबर पर थे.फिल्मों में किस्मत आजमाने के लिए मायानगरी का रूख कर गए.शायरी को लेकर आपकी दीवानगी कालेज के दिनों से पलने लगी थी .नाम के साथ जारचवी तखल्लुस रखकर अलीगढ़ के दिनों से लिख रहे थे. जीनत में ब्रेक मिलने बाद आपने राशिद अत्रे के साथ अनेक प्रोजेक्ट पर काम किया.बंटवारे की तात्कालिक हडबडी में पाकिस्तान तुरंत नहीं पलायन कर गए. गए जरुर लेकिन एक दशक बाद सन अठावन में.नक्शाब जारचवी के ताल्लुक नूरजहां व जोहराबाई अंबालेवाली सरीखे फनकारों से सजी फिल्म जीनत महत्वपूर्ण थी। एक जमाने की मशहूर कव्वली… आहे न भरे शिकवे न किए इसी फिल्म की थी.शौकत रिजवी की जीनत में नूरजहां ने एक महत्वपूर्ण किरदार भी निभाया था.नक्शाब ने लिखे गीत मसलन आंधियां युं चली बाग उजड गए काफी मशहूर हुए.नक्शाब के ताल्लुक कमाल अमरोही की मशहूर महल भी याद आती है.हिंदी सिनेमा में अशोक कुमार—मधुबाला की यह फिल्म रूचि—रहस्य कथाओं में रिफरेंस प्वांइट मानी जानी चाहिए.महल के सभी गीत नक्शाब जारचवी ने लिखे.नक्शाब का लिखा ‘आएगा आएगा आनेवाला’ बेहद मकबूल हुआ… भटकी हुई जवानी मंजिल को ढूंढती है..माझी बगैर नय्या साहिल को ढूंढती है. तडपेगा कोई कब तक बेसहारे..लेकिन यह कह रहे दिल के मेरे इशारे..आएगा आएगा आएगा आनेवाला नवोदित लता मंगेशकर को गायकी की दुनिया में मकबूल करने वाला यह गीत आज भी पुराना नहीं हुआ.खेमचंद प्रकाश का संगीत फिल्म की बडी खासियत थी.यही वो वह सुपर गीत रहा जिसने लता को एक मशहूर बना दिया . इसी फ़िल्म का लता का गाया दूसरा गाना..मुश्किल बहुत मुश्किल, चाहत का भुला देना भी हिट हुआ था. कहना लाजमी होगा की लता को परवाज़ नक्शाब जारचवी की कलम से मिली थी.चालीस दशक की देव आनंद व कामिनी कौशल अभिनीत फ़िल्म में मशहूर संगीतकार सी रामचंद्र साथ भी काम किया.आपके लिखे गीतों को शमशाद बेगम व लता जी ने आवाज दी.शमशाद आपा का..जिया मोरा इसी फ़िल्म से था.पचास दशक में रिलीज ख्वाजा अहमद अब्बास की ‘अनहोनी’ में संगीत था रोशन का तथा गीतकारों की फ़ेहरिस्त में नक्शाब भी शामिल थे. अनहोनी राजकपूर व नर्गिस की यादगार फ़िल्म बनी. लता व नवोदित गायिका राजकुमारी द्वारा मिलकर गाया गीत …जिंदगी बदली काफ़ी चला. पचास दशक के शुरुआत में नक्शाब ने फ़िल्म नगरी में अपना सिक्का जमा लिया था. इसी दशक में गीत लिखते हुए फ़िल्म मेकिंग में चले आए. फिल्मकार के रूप में अशोक कुमार व नादिरा की नग़मा आपकी पहली फ़िल्म थी. फ़िल्म के गीत आप ने ही लिखे.धुनें मशहूर नौशाद ने रखी …बडी मुश्किल से दिल की बेकरारी को करार आया.शमशाद आपा की आवाज़ से सजा यह गाना एक जमाने में जबरदस्त हिट था. इसी फ़िल्म का एक और सुपरहिट नगमा…जादूगर बलमा छोड़ मोरी.. अमीर बाई की आवाज़ व नक्शाब के बोल आज भी कानों में गूंज रहा.पचास दशक के आखिर सालों में नक्शाब ने ज़िन्दगी या तूफ़ान का निर्माण किया.एक बार फ़िर धुनें नौशाद साहेब ने सजाई. प्रदीप कुमार व नूतन अभिनीत इस फ़िल्म का गीत..तुमको करार आए काफी लोकप्रिय हुआ.सन अठावन में आप करांची पलायन कर गए. आपकी शादी बुलंदशहर की ही लड़की से हुयी.एक जानकारी के अनुसार तेरह साल के लम्बे करियर में नक्शाब को ज़माने के नामचीन फनकारों साथ काम करने का मौका मिला. इस जुझारू शख्सियत ने पाकिस्तान जाने का निर्णय किन हालात में किया? इस बारे में जानकारी नहीं मिलती.एक किताब में नक्शाब के हवाले से लिखा गया… एक रात में कोई जनाब आपके घर मुलाकात के लिए आए. अगली सुबह दरअसल वो जनाब विलायत जाने वाले थे.नक्शाब आपको तोहफा देना चाहते थे…आधी रात पर भी जानेवाले के लिए वो तोहफा मंगवाया गया. एक किस्से के अनुसार आपका यह मानना.. एक बार नोट किसी के लिए बाहर निकला तो वह उसी का हो गया नक्शाब की दरियादिली बताता है…ऐसे बहुत से किस्से ‘मेरा कोई माज़ी नहीं’ में संकलित हैं. Bio Social Latest Posts By: सैयद तौहीद शहबाज़ जामिया मिल्लिया से स्नातक। सिनेमा केंद्रित पब्लिक फोरम से लेखन की शुरुआत। सिनेमा व संस्कृति विशेषकर हिंदी फिल्मों पर लेखन। उनसे passion4pearl@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।) समाज की तृष्णा अनदेखी रह गई.. : फिल्म समीक्षा (सैयद एस तौहीद)यादों में ‘राजकपूर’ छलिया के बहाने: आलेख (एस तौहीद शहबाज़)रफ़ी साहेब की दीवानगी: आलेख (सैयद एस तौहीद )जिंदा रहना हर आदमी का अधिकार है: आलेख (एस तौहीद शाहवाज़)सेक्सुअल शोषण की काली हकीक़त, ‘कहानी २’ आलेख (सैयद एस तौहीद)आईए ‘नक्शाब जारचवी’ को जाने : आलेख (सैयद एस तौहीद)शहीद एक प्रेरक चरित्र: सिने चर्चा (सैयद एस तौहीद)क्या एडल्ट कॉमेडी वाकई कूल है..? 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