बादल, एवं हवा…: ग़ज़ल (उपेन्द्र परवाज़) उपेन्द्र परवाज़ October 6, 2016 कविता, गजल 1 285 बादल, एवं हवा...: ग़ज़ल (उपेन्द्र परवाज़)2016-10-060%Overall ScoreReader Rating: (0 Votes)0%कालिदास ने सिर्फ बादलों को दूत के रूप में लिखा | यहाँ प्राकृतिक सौन्दर्य के विभिन्न रूपों को मानव दूत के लिए प्रतीकात्मक प्रयोग कालिदास की रचना मेघदूतम से प्रेरित प्रतीत होता है, ‘उपेन्द्र परवाज़’ कालिदास की इसी कलात्मकता से प्रेरित होकर “क़ासिद” नामक एक पुस्तक लिखने का प्रयास कर रहे है | उसकी प्रथम दो रचनाएँ प्रस्तुत है |…. संपादक बादल उपेन्द्र परवाज़ काली घटाओं के बादल, सन्देश पिया का लेता जा ओ उड़ने वाले काले जल, सन्देश पिया का लेता जा | जबसे मुझको वह छोड़ गया, जीवन धारा को मोड़ गया सारे रिश्ते वह तोड़ गया, अब गणित वही है न जोड़ नया कटता ही नहीं है अब इक पल, सन्देश पिया का लेता जा | ओ उड़ने वाले काले जल, सन्देश पिया का लेता जा | देना उसको पैगाम यही, अब उसके सिवा कोई नाम नहीं कटती है सुबह पर शाम नहीं, जैसे सूरज हो घाम नहीं ये अश्क़ बह रहे है पल पल, सन्देश पिया का लेता जा | ओ उड़ने वाले काले जल, सन्देश पिया का लेता जा | ये अश्क़ बने सावन बादल, सब भीग रहे तन के आँचल मन के ये हो गये ऐसे पल, स्वाती के बिना चातक व्याकुल रोते – रोते न हो जाऊं पागल, सन्देश पिया का लेता जा | ओ उड़ने वाले काले जल, सन्देश पिया का लेता जा | हवा google se saabhaar ओ जाके पवन उसको यह, कर दे तू इशारा अब लौट के आ जा, उसे मेरे दिल ने पुकारा | देना वो पोछ उसकी, आँखों के जो हो अश्क़ रातों को काटती होगी, वो गिन के सितारा | मै अजनबी सहर, वह है चाँदनी सी रात सहरा हूँ मै तपता, वह बारिश का नजारा | मुझको समझ गैर, वो छूने न दिया हाथ छूकर उसे कहना की, अब भी मुझे प्यारा | मिलने लगे ये जो दिलों के सितम “परवाज़” तू हो गया उसी का जो हो सका न तुम्हारा | Bio Social Latest Posts By: उपेन्द्र परवाज़ No biography available at this time उपेन्द्र परवाज़: की ग़ज़ल….उनको अपने हुश्न पे है नाज़… ग़ज़ल (उपेन्द्र परवाज़)ग़ज़ल: (उपेन्द्र परवाज़) See all this author’s posts Share this:Click to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on Twitter (Opens in new window)Click to share on Google+ (Opens in new window)Click to share on WhatsApp (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to email this to a friend (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Like this:Like Loading... Related One Response Anonymous October 6, 2016 this is best post ……………………. Reply Leave a Reply Cancel Reply Your email address will not be published.CommentName Email Website Notify me of follow-up comments by email. Notify me of new posts by email.