मन की व्यथा कथा: व्यंग्य (नित्यानंद गायेन) नित्यानंद गायेन December 29, 2016 व्यंग्य 181 मन की व्यथा कथा नित्यानंद गायेन योग करने के तुरंत बाद ही इन्द्र, मौनेंद्र से मिले | योग को इतना बड़ा इवेंट बनाने के लिए उन्हें बधाई दी और उसी क्षण फादर्स डे मनाने के लिए अपने निजी पायलट रहित विमान को हांकते हुए आकाश पहुँच गए | वहां जाकर, उन्हें मौनेंद्र से मिलकर जो ख़ुशी-गम हुआ, उसे वे अपनी घरवाली के साथ बाँटना चाहते थे | धरती पर अपने प्रवास के दौरान मौनेंद्र ने इंद्र को अपने सभी भाषणों की सीडी उन्हें उपहार स्वरुप भेंट किये थे | और मन की बात की कुछ ऑडियो भी दिए थे | उन्हें उपहार स्वरुप पाकर इंद्र बहुत पुलकित हुए थे | किन्तु जैसे ही उन्होंने अपनी पत्नी से कहा – सुनो, प्रिय आज मैं भी तुमसे अपने मन की बात कहना चाहता हूँ …….बस फिर क्या था ….वे इस कदर बिगड़ी कि पूछिये मत | रानी माँ ने कहा ‘तुम पहले से ही कम नहीं थे रहने दो, तुम्हरी सोच से पृथ्वीवासी पहले से परिचित तो थे ही, कि तुम शुरू से ही इतने डरपोक हो कि किसी ने भी यदि तपस्या की बात भी की तो तुम अपनी कुर्सी पकड़ कर बैठ जाते हो, और नीचे, वह भी यही करता है | और उससे मिलकर तुम मन की बात करना सीख आये हो ? छी | बस फिर क्या था इन्द्रदेव की नींद उड़ गई , गुस्सा कर के देने लगे ..प्रवचन ….खुद को कोसने लगे | इतने आहत हुए कि एक बार तो यहाँ तक सोच लिया कि क्यों न एम.पी . जाकर व्यापम घोटाले का गवाह बन जाऊं , ताकि वे मेरी हत्या ही करवा दें और सारा दोष मौनेंद्र पर आ जाये | इनकी थू -थू हो और फिर उनका सुप्रीम कोर्ट मेरी हत्या के आरोप में उन्हें आजीवन कारवास की सजा सुना दे | …भाई देखो आदमी सब कुछ सह सकता है ..पर पत्नी वियोग सहना बहुत कठिन काम है , पत्नी वियोग में बहुत पहले एक व्यक्ति तुलसीदास बन गये थे और राम चरित् मानस लिख कर अमर हो गए थे | उस पुस्तक में बहुत से काण्ड हैं | ऐसा उन्होंने कहानियों में पढ़ रखा था | किन्तु देवेन्द्र अब सोचने लगे ‘कि यार मैं कौनसा कांड लिखूंगा, मुझसे अधिक काण्ड तो मौनेंद्र एंड पार्टी रोज लिख रहे हैं | आखिर शांत हुए, अपनी शक्ति का विश्लेषणात्मक मनो-अध्ययन करने के पश्चात् …चुपचाप प्रिय से माफ़ी मांग ली और प्रण किया कि भविष्य में फिर कभी किसी से मन की बात नहीं करूँगा , चाहे प्रेशर से पेट ही क्यों न फट जाये | Bio Social Latest Posts By: नित्यानंद गायेन जन्म: 20 अगस्त 1981, शिखरबाली गाँव, बारुइपुर, दक्षिण चौबीस परगना, पश्चिम बंगाल। अपने हिस्से का प्रेम (2011) कविता-संग्रह। कविता केन्द्रित पत्रिका ‘संकेत’ का अंक इनकी कविताओं पर केन्द्रित| (संपादक –अनवर सुहैल ) ‘समावर्तन’ में कवि /संपादक निरंजन श्रोत्रिय द्वारा रेखांकित ‘दुनिया इनदिनों’ में वरिष्ठ कवि एवं कव्यालोचक ओम भारती द्वारा रेखांकित | विभिन्न पत्र –पत्रिकाओं में कविताएँ व लेख प्रकाशित विविध: हैदराबाद से प्रकाशित हिंदी दैनिक ‘डेली हिंदी मिलाप राजभाषा पत्रिका’ एवं स्वतंत्र वार्ता में उप संपादक के तौरपर कार्यानुभव | ‘दुनिया इनदिनों साहित्य विशेषांक’ 2016 के समकालीन कविता खंड का अतिथि संपादन | कुछ कविताएँ बांग्ला भाषा में भी | कुछ कविताओं का नेपाली, अँग्रेज़ी, मैथिली तथा फ़्राँसिसी भाषाओँ में अनुवाद। सम्प्रति : दिल्ली से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक ‘दिल्ली की सेल्फी’ में कार्यकारी संपादक | संपर्क : 8860297071 email-nityanand.gayen@gmail.com मुझे तुम पर पूरा यकीन हैं एवं अन्य कवितायें, नित्यानन्द गायेनउम्मीद ही तोड़ती है आदमी को हर बार: कविताएँ (नित्यानंद गायेन)यह सभ्यता की कौनसी जंग है !: कवितायें (नित्यानंद गायेन)धन कभी काला होता है क्या ? व्यंग्य (नित्यानंद गायेन)बारिश में दिल्ली: व्यंग्य (नित्यानन्द गायेन)भाषाई विकास को लड़ना जरूरी…: “प्रेमपाल शर्मा” साक्षात्कार See all this author’s posts Share this:Click to share on Facebook (Opens in new window)Click to share on Twitter (Opens in new window)Click to share on Google+ (Opens in new window)Click to share on WhatsApp (Opens in new window)Click to share on Pinterest (Opens in new window)Click to share on LinkedIn (Opens in new window)Click to share on Tumblr (Opens in new window)Click to email this to a friend (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Like this:Like Loading... Related Leave a Reply Cancel Reply Your email address will not be published.CommentName Email Website Notify me of follow-up comments by email. Notify me of new posts by email.