हर चीज को तरसते हैं किसान

कविता कविता

ABDUL RAHMAN ANSARI 434 5/27/2021 1:05:00 PM

मुंशी प्रेमचन्द ने लिखा था ये कभी

हर चीज को तरसते हैं किसान

कर्ज के बोझ तले दबते हैं किसान देश के

रीढ़ हैं अन्नदाता हैं, भाग्य विधाता हैं

हम सबका पेट भरते हैं किसान

किसानों का वोट बैंक न खिसके, साहब ने कहा है

साहब को हर बार जिताते हैं किसान

किसानों का शोषण कोई नई बात नहीं है

दशकों से जुल्म सहते हैं किसान

लागत बढ़ने से मुनाफा तो दूर

उपज की वाज़िब कीमत भी नहीं पाते हैं किसान

मंडी समितियां लूटने का अड्डा बन गईं

सालों से इनमे लुटते हैं किसान

मुंशी प्रेमचन्द ने लिखा था ये कभी

 

-प्रतीकात्मक चित्र गूगल से साभार 

ABDUL RAHMAN ANSARI द्वारा लिखित

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