नेहा जैन पेशे से शिक्षिका है हाल फिलहाल अपने अन्दर उमड़ती भावनाओं कोऔर विचारों को अपने शब्दों में पिरोकर कविताओं के रूप में माला बनाने की कोशिश की है | हमरंग  नेहा को भविष्य में उभरती कवियत्री के रूप में देख रहा है  | जिससे उनकी रचनाएँ हमरंग के नवलेखन में प्रकाशित हैं |
                                                    
                                                        
बचपन 
याद आया वो  बचपन  मुझको 
जो लौट क़र ना  आ  सका |
आँखो मे आंसू होठों पर  मुस्कान आई  है   
याद मुझे मेरे बचपन की आई  है |
याद मुझे  मेरी गुड़िया  आई है 
वो शंख सीप चुन चुन  क़र  लाना |
शाम को  फिर  खेलने  जाना ना |
कोई  चिंता ना  अभिमान, 
दादू के  कंधे  पर  बैठ  के  घूमने  जाना 
नानी  के  सँग परियो की  बाते  करना | 
जाने  सब कहाँ  गया बहुत खोजा, 
फिर ना  मिला वो  बचपन मुझे दुबारा |
पापा के  सँग बाजार जाकर,  
नये  कपड़े  लाना बहुत  याद आता  है |
खाने  के  लिए अपने  पीछे माँ को  भगाना,
इठलाते थे रूठते थे सब हमें मनाते  थे |
आज  तन्हाई ने  घेर लिया ,
रूठना  मैं अब भूल  गया |
वो  दोस्त ना  जाने  कहाँ  गए 
बीमार  जो  मै  होता था | 
सब  घर  पर  मुझे  खिलाने  आते  थे |
वो  कंचे छिपाना भूल गया 
ना तेरा  था  ना मेरा  था  
सब मिल  बाट  क़र  खाते  थे |
आज  हिस्सा हिस्सा  हुआ  है  जीवन 
अखियाँ तलाशती है  वो बचपन फिर  से  
गले लगाने को लौट क़र  जो  ना  आ  सका |
   वजूद 
तेरे वजूद का हिस्सा हूँ |
जीवन  का तेरे क़िस्सा हूँ |
यही तो परिचय है मेरा फिर क्यो तू डरता है मुझे अपनाने से , 
लड़की हू कोई पाप नही जन्म देकर भी घृणा मुझसे, 
क्या ऐसा कोई अपराध हूँ मैं ,
बस पढा देना मुझको स्कूल मुझे जाना है |
और  न कुछ मांगूगी बोझ न बनूँगी तुझ पर 
तेरा कर्ज चुका दूंगी बस मुझे जीने दे |
पढ़ लिख कर कुछ बनने दे नाम करूँगी तेरा 
रोशन वो पल आने दे, सीना तेरा चौड़ा होगा |
तिरस्कर न मेरा कर,
दिन वो आएगा जब तू मुझे गले लगाएगा |
मेरी बिटिया कहकर लोंगो से मिलवाएगा |
नाक तेरी ऊँची होगी बनकर वो दिखलाऊँगी,  
अभी मुझे बस पढ़ने दे पढ़ने दे |