तुम बिलकुल हम जैसे निकले : कविता (फ़हमीदा रियाज़)

कविता कविता

फ़हमीदा रियाज़ 1356 11/23/2018 12:00:00 AM

फ़हमीदा रियाज़ का 21 नवम्बर 2018 को मशहूर शायर फहमीदा रियाज का लाहौर में लंबी बीमारी के बाद इंतकाल हो गया। फहमीदा पिछले कई महीनों से बीमारी से जूझ रही थीं। फहमीदा का जन्म भारत में यूपी राज्य के मेरठ जिले में हुआ था। लेकिन बाद में उनका परिवार पाकिस्तान जाकर बस गया। हालांकि, यहां भी जनरल जिया उल हक के शासनकाल में उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ा और करीब 7 साल तक भारत में रहीं। बतौर श्रिधांजलि उनकी एक कविता ॰॰॰॰॰॰

तुम बिलकुल हम जैसे निकले


तुम बिलकुल हम जैसे निकले
अब तक कहाँ छिपे थे भाई ?

वो मूरखता, वो घामड़पन
जिसमें हमने सदी गँवाई
आखिर पहुँची द्वार तुम्हारे
अरे बधाई, बहुत बधाई !

भूत धरम  का नाच रहा है
कायम हिंदू राज करोगे ?
सारे उल्टे  काज करोगे !
अपना चमन ताराज़ (नष्ट) करोगे ?

तुम भी बैठे करोगे सोचा
पूरी है वैसी तैयारी
कौन है हिंदू, कौन नहीं है
तुम भी करोगे फ़तवे जारी

यहाँ भी मुश्किल होगा जीना
दाँतों आ जाएगा पसीना
जैसी तैसी कटा करेगी
वहाँ भी सब की साँस घुटेगी

माथे पर सिंदूर की रेखा
कुछ भी नहीं पड़ोस से सीखा!
क्या हमने दुर्दशा बनायी
कुछ भी तुमको नजर न आयी?

भाड़ में जाए शिक्षा-विक्षा
अब जाहिलपन के गुन गाना
आगे है गड्ढा यह मत देखो
लाओ वापस, गया ज़माना

कल दुख से सोचा करती थी
सोच के बहुत हँसी आज आयी
तुम बिल्कुतल हम जैसे निकले
हम दो कौम नहीं थे भाई.

मश्क (अभ्यास) करो तुम, आ जाएगा
उल्टे  पाँव ही चलते जाना
दूजा ध्यान  न मन में  आए
बस पीछे ही नजर जमाना

एक जाप सा करते जाओ
बारंबार यही दोहराओ
'कैसा वीर महान था भारत
कैसा आलीशान था-भारत' !

फिर तुम लोग पहुँच जाओगे
बस परलोक पहुँच जाओगे

हम तो हैं पहले से वहाँ पर
तुम भी समय निकालते रहना
अब जिस नरक में जाओ,  वहाँ से
चिट्ठी-विठ्ठी डालते रहना.


फ़हमीदा रियाज़ द्वारा लिखित

फ़हमीदा रियाज़ बायोग्राफी !

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फ़हमीदा रियाज़ उर्दू की प्रमुख शायरा एवं लेखिका हैं। इनका जन्म 28 जुलाई 1946 को मेरठ में हुआ। बाद में इनका परिवार पाकिस्तान जाकर बस गया।गोदावरी, ख़त-ए-मरमुज़ इनके प्रमुख संग्रह हैं। 21 नवम्बर 2018 को  मशहूर शायर फहमीदा रियाज का लाहौर में लंबी बीमारी के बाद इंतकाल हो गया। फहमीदा पिछले कई महीनों से बीमारी से जूझ रही थीं। फहमीदा का जन्म भारत में यूपी राज्य के मेरठ जिले में हुआ था। लेकिन बाद में उनका परिवार पाकिस्तान जाकर बस गया। हालांकि, यहां भी जनरल जिया उल हक के   शासनकाल में उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ा और करीब 7 साल तक भारत में रहीं।

मृत्यु

21 नवंबर 2018 को 72 वर्ष की आयु में उनका लाहौर में निधन हो गया।


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पोस्ट की गई टिप्पणी -

ग़ुलाम कुन्दनम्

24/Nov/2018
सटीक रचना... नफ़रत की जमीं पर पाकिस्तान बना था... भारत को भी कुछ लोग अब उसी राह लें जाना चाहते हैं.... पर भारतीयता से वे हार जाएंगे।

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