'अनीता चौधरी' की पाँच कविताएँ॰॰॰॰॰

'अनीता चौधरी' की पाँच कविताएँ॰॰॰॰॰

अनीता 1138 12/27/2018 12:00:00 AM

‘अनीता चौधरी’ की कविताओं से गुज़रना यूँ तो किसी शांत नदी से बातें करने का एहसास दिलाता है । मानो अपनी अतल गहराइयों में बड़े सामाजिक विचलन को समेटे, प्राकृतिक धैर्य के शांत आवरण को ओढ़े हुए, सागर से अपने प्रेम और उसकी तरफ़ चलते रहने की गाथा को, पूरी संजीदगी से बयां कर रहीं हों । इन कविताओं में यकायक प्रतीत होती हताशा यक़ीनन गहरे संदर्भों में सागर तट पर निश्छल प्रेम में दम तोड़ने जैसा होता है। आपकी कविताओं के शब्दों का भूगोल रचनात्मक रूप से ही सही, अपने तल से उठती सुनामी को मानवीय रूप में पुरुष सत्तात्मक सामाजिकता से होती चूक के परिणाम के रूप में व्याख्यायित कर उससे रूबरू करातीं हैं ।

हाल ही में प्रकाशित

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