भाषा बहता नीर है: समीक्षा ‘कुतुबनुमा’ कविता संग्रह, (प्रदीप कांत)
प्रदीप्त कान्त 490 2018-11-17
अग्रज कवि सुमित्रानंदन पंत ने कहा था – वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान। निकलकर आँखों से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान…| यह कविता का एक कारण हो सकता है| इस कोमल भावना से थोड़ा आगे बढ़ें, व्यक्तिगत पीढा केवल कविता नहीं हो सकती, उस व्यक्तिगत में से जो सार्वजनिक के लिए निकल सके वह कविता है| रतन जी को भी मैं नहीं, हम की पीड़ा सालती है,…….| ‘रतन चौहान’ के कविता संग्रह ‘कुतुबनुमा’ पर ‘प्रदीप कांत’ का समीक्षालेख……